इस दिवाली अज्ञान का तम चीर ज्ञान का एक दीप तुम भी जलाना। इस दिवाली अज्ञान का तम चीर ज्ञान का एक दीप तुम भी जलाना।
मैं स्वयम्भू सा स्वयं सिद्ध मैं अपने अहं में पाषाण बना मैं स्वयम्भू सा स्वयं सिद्ध मैं अपने अहं में पाषाण बना
तो मेरा प्रणय निवेदन स्वीकार करने आ जाओ गुलमोहर की छाँव में कर लूँ मैं समर्पण। तो मेरा प्रणय निवेदन स्वीकार करने आ जाओ गुलमोहर की छाँव में कर लूँ मैं समर्...
अब मिला सत्य, शाश्वत प्रेमी, हम चले प्रेम के पार प्रिये। अब मिला सत्य, शाश्वत प्रेमी, हम चले प्रेम के पार प्रिये।
पीड़ा जब गहरे उतरती है, तो कुछ अनुपम ही रचती है । पीड़ा जब गहरे उतरती है, तो कुछ अनुपम ही रचती है ।
मोमबत्ती जैसा ही जलने, पिघलने व टपकने लगता है मेरा दिल! मोमबत्ती जैसा ही जलने, पिघलने व टपकने लगता है मेरा दिल!